Ab Pallavi Azad Thi By Surya Kumar Upadhyay

  • Language ‏: ‎ Hindi
  • Paperback ‏: ‎ 168 pages
  • ISBN-10 ‏: ‎ 819512349X
  • ISBN-13 ‏: ‎ 978-8195123490
  • Item Weight ‏: ‎ 168 gm
  • Dimensions ‏: ‎ 5.5 x 0.5 x 8.5 cm

Product Description – 

इस किताब के ज़रिये लेखक ने ज़िन्दगी को क़रीब से देखने-समझने की कोशिश की है। शीर्षक कहानी ‘अब पल्लवी आज़ाद थी’ समाज में महिलाओं की अभिव्यक्ति की आज़ादी की अवधारणा को पुख्ता करती है। बात करें अगर व्यवहारिक या पारिवारिक संबंधों की तो इसे अपने नज़रिये से देखना नीरस काम हो सकता है लेकिन जब इन्हीं संबंधों को दुनिया के चश्मे से देखना हो तो सोच का दायरा और गूढ़ और रोमांचक हो जाता है। कहानी ‘नागिन चाय’ की बात करें तो भावनात्मक और भौतिकवादी दोनों ही तरह का नज़रिया रखने वालों के लिए इस कहानी को पढ़ना अनिवार्य सा लगेगा। कहानी ‘ पारो और चंन्द्रमुखी’ अपने अंदर कहीं हास्य रस, रौद्र रस, श्रृंगार रस तो कहीं करूण रस और अद्भुत रस को बारीकी से समेटे हुए है। लाचार पति की बेबसी की अनुभूति लेनी हो या पति-पत्नी के बीच तीखी नोंक-झोक के तड़के का एहसास करना हो या फिर अल्हड़ प्यार के साथ-साथ शुद्ध देसी रोमांस के मिज़ाज का मज़ा लेना हो तो ‘दिल उल्लू का पट्ठा’ जैसी कहानी आपके अंदर सोई हुई रूमानियत को जगाने का काम करेगी और आपके दिल को रोमांचित भी करेगी। युवा पीढ़ी की प्यार के करिश्माई अनुभवों को भी इस कहानी संग्रह में ख़ास तवज्जो दी गई है। इश्क़ के लिए प्रेरित करती कहानियों के साथ ‘लव ३६’ जैसी कहानी महानगरों में पनपने वाले अतरंग विवाहेत्तर संबंधों के विलक्षण तरीक़ों से पाठकों को रूबरू कराएगी। इस कहानी संग्रह में शामिल कहानियों में महज़ अल्हड़ता ही नहीं छिपी है बल्कि ‘एवरबेस्ट गिफ्ट’ जैसी कहानी भावना प्रधान लोगों की आँखों को बार-बार भिगोने का काम करेगी।

 About the Author – 

लेखनी को अपने जीवन का आधार बनाने वाले वाले सूर्य कुमार उपाध्याय बहुविकल्पीय विचारधारा से प्रेरित शख्सियत हैं । फक्कड़ी, घुमक्कड़ी और सुतक्कड़ी जैसे शब्द लेखक के लिए प्रर्यायवाची संबोधन हो सकते हैं। सूर्य जी ने चेन्नई से लेदर टेक्नोलॉजी करने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई की और एक पेशेवर पत्रकार के तौर पर दैनिक हिन्दुस्तान, ईटीवी न्यूज़, प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया और ज़ी न्यूज़/बिज़नेस सरीखे नामचीन संस्थानों में क़रीब १५ साल तक नौकरी की। लेकिन कहानीकार बनने की ललक ने सूर्य जी को पत्रकार से लेखक बना दिया। चलते-फिरते कहानियाँ गढ़ने में इन्हें महारत हासिल है । इनकी कहानियाँ कहीं ढोंगी समाज की पोल खोलती नज़र आती हैं तो कहीं आदर्शवाद का लबादा ओढ़ने वाले बनावटी लोगों को आईना दिखाती हैं । बिना लाग-लपेट के अपनी बात पाठकों के सामने रखने में माहिर सूर्य जी ने अपनी पत्रकारिता के अनुभव का अपनी कहानियों में ख़ूब दोहन किया है। फ़र्ज़ी बाबाओं की पोल खोलती चर्चित फिल्म ग्लोबल बाबा के लेखक और गीतकार सूर्य कुमार उपाध्याय की कहानियाँ यथार्थवादी होने के साथ-साथ रोचक और रोमांचक होती हैं।.

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