Product Description – रविंद्र नाथ अपनी पत्नी एवं बच्चों के संग फटेहाल स्थिति में अर्जनगढ़ में रहता है। उसके दूर के बड़े भाई द्वारा उसको एक चिट्ठी मिलती है। रविंद्र को आनन फ़ानन में उनके पास रामपुर जाना पड़ता है। जिसके बाद उसकी और उसके परिवार की ज़िंदगी ही बदल जाती है। वो रातों रात विशाल सम्पत्ति का मालिक हो जाता है। अपनी क़िस्मत की बदौलत रविंद्र ख़ुद को क्षेत्र के बाहुबली उर्फ़ “बड़े साहब” के रूप में स्थापित करने में सफल हो जाता है।
ख़ुद को खुदा समझना व्यक्ति के पतन का कारण होता है। कचरे की गाड़ी में लेटा घायल रविंद्र नाथ यहीं सोच रहा है। उसका सफ़ेद कुर्ता ख़ून से लाल हो चुका है। कचरा गाड़ी को खींच रहा है रविंद्र का बड़ा बेटा जीतू, जो अपने पिता की ऐसी स्थिति देख कर दहशत में है। लेकिन आख़िर ऐसा क्या हुआ कि क्षेत्र के बाहुबली की ऐसी हालत हो गई?
कर्मों के इसी रोमांचक खेल को नज़दीक से देखने का मौक़ा देता है उपन्यास “बड़े साहब”
About the Author – त्रिपुरारी तिवारी एक उत्साही युवा लेखक हैं जो विभिन्न विषयों पर लिखते हैं। उत्तर प्रदेश में जन्मे त्रिपुरारी की शुरुआती शिक्षा ग्वालियर (मध्य प्रदेश) में हुई। कैमिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने आई॰टी॰ क्षेत्र में क़दम रखा। आप मल्टीनैशनल कम्पनी ऐक्सेंचर में तीन वर्ष तक सॉफ़्टवेयर इंजीनियर के रूप में कार्यरत रहे। लेखन को समय देने के लिए आपने नौकरी छोड़ दी। अब आप पूर्णकालिक रूप से लेखन में रत हैं। आप केन्द्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी संस्थान (CIET) से कहानी लेखन के लिए पुरस्कृत हो चुके हैं। आप कोरा (Quora) पर कोरा पार्टनर प्रोग्राम (QPP) के स्थाई सदस्य तो हैं ही साथ ही अपने शिक्षण संस्थान एवं अन्य पत्रिकाओं में नियमित रूप से स्वतंत्र लेखन एवं समीक्षा देते रहते हैं। रामधारी सिंह ‘दिनकर’ जी की रचना ‘रश्मीरथी’ आपकी पसंदीदा रचनाओं में से है। हिंदी साहित्य में विशेष रुचि होने के कारण समय समय पर आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं में कई पुरस्कार जीत चुके हैं।
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