Product Description – हिम्मत ने तो कभी टूटते तारों से अपने लिए किसी परी की ख़्वाहिश न की थी, बल्कि उसका अरमान तो फ़ौज में जाने का था। और लाली ने भी कहाँ कोई सोलह सोमवार के व्रत रखकर कोई बांका नौजवान भोलेनाथ से माँगा था। फिर ये प्यार का काँटा दोनों को कैसे चुभा इसका कोई स्पष्टीकरण नहीं है। दोनों ने एक-दूजे को ख़ूब प्यार किया और टूटकर किया पर ऐसा क्या हुआ जिसने दोनों को तोड़कर रख दिया। क्या हिम्मत और लाली जुदा हो गये? क्या उनका प्यार अपने अंजाम तक पहुँचा? क्या लाली हिम्मत के घर की दहलीज़ में दाख़िल हो पाएगी? क्या होगा जब प्यार की इस कहानी पर नज़र पड़ेगी महेंद्र सिंह और कालू की! क्या नीरजा का दिल अपने बेटे हिम्मत की चाहत को स्वीकार लेगा? क्या लक्ष्मणगढ़ के रेतीले धोरे हिम्मत और लाली का मिलन देखेंगे? कुछ कहा नहीं जा सकता! मोहब्बत की बिसात पर सबने अपने-अपने दाँव लगा रखे हैं। कौन जीतेगा और कौन हारेगा ये तो वही तय करेगा जिसमें ये बाज़ी खेलने की हिम्मत होगी।
About the Author – लोकेश गुलयानी लेखन के क्षेत्र मे अभी उग रहे हैं और वह उगकर एक ऐसा सुंदर पेड़ बनना चाहते हैं, जिसके नीचे बैठकर लोग अपनी परेशानी, थकन और झंझट कम से कम कुछ समय के लिए तो भूल ही जायें। यक़ीनन प्रतिस्पर्धा के युग में उगना अति-विकट है पर जब अंकुर फूट ही गया है तो कोई न कोई आकार लेना तो निश्चित है। लेखक पिछले सात वर्षों से लेखन में हैं और अब तक इनकी निम्न पाँच किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं:
‘जे’
‘बोध’
‘जहनी अय्याशी’
‘वो कहानी यही है’
‘यू ब्लडी शिट पंजाबी’
लेखक से आप निम्न माध्यमों से सम्पर्क स्थापित कर सकते हैं-
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