Papa Kehte hain By Yogesh Kumar

 

 

 

 

Product Description – ये कहानी है । प्यार की गहराइयों की । बेवफाई की । दोस्ती की । शत्रुता की । जो की आप को किताब से जोड़ती है । ये आपको प्यार में जलते राघव से मिलाती है ।और निधि के सचे प्यार की कहानी है ये। लेखक आप को वंश के अहंकारी सवरूप से भी मिलाता है। और ये सच्ची दोस्ती की भी कहानी है ।
इस कहानी में शहर के साथ आप को गांव की मिट्टी से ले कर उनकी जाती प्रथा और उसके ढोंग को भी ये दर्शाती है । उनके रीति रिवाज भी इस कहानी में मिलते है । साथ में छोटी जाती के अलग मंदिर है और बड़ी जाती के अलग मंदिर है । लेखक उन पर तंज भी कसता है । पर कोई कुछ भी कहे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता है ।
ये कहानी है निधि के सच्चे प्यार की जो उसे कहानी के अंत में मिल पाता है ।
ये कहानी राघव की है । जो की अपने को खड़ा करता है । वो इस लिए की निधि से बराबरी कर सके ।और वो सफल हो जाता है ।
उपन्यास में कोई लाग लपेट नही है कहानी धीरे धीरे अपनी जगह बनाती है । और अंत में दिल में उतर जाती है । अति भावनात्मक कहानी है और बड़ी ही तेजी से चलती है । शायद लेखक भी लिखते हुए देखना चाहता हो की अंत कैसा है । कहानी में निधि राघव से बेवफाई कर देती है और उसी ताने बाने में कहानी घूमती रहती है । पर कहते है एक बार की गलती तो भगवान भी माफ कर देते है । तो हम नही कर सकते है क्या ? आखिर हम उनकी की ही तो संतान है । पर कहानी का नायक तो बस छोटी सी बात को पकड़ कर जलता रहता है । जब तक उसे अपनी गलती का पता चलता है बहुत देर हो चुकी होती है।

 

 

About the Author – योगेश कुमार को पढ़ना और लिखना पसंद है । वे दिल्ली में रहते है । शिक्षा में साधारण रहे योगेश कुमार अब रेंट बिज़नेस में है । और लिख भी लेते है । उन्होंने तीन उपन्यास लिखे है । इंसान की शक्ति , उलझी सी कहानी और पापा कहते है इन का तीसरा उपन्यास है । इन के द्वारा लिखे उपन्यास ठीक ठाक चल रहे है । योगेश कुमार को जिदंगी में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है । वे २००१में अवसाद से पीड़ित रहे है परंतु उन्होंने अवसाद को भी पछाड़ दिया है । वे शिक्षा में स्नातक है । और अब लिखने में लगे है ।
इस के अलावा वे अपनी रुचि के हिसाब से पढ़ते भी है ।अक्सर रात भर पढ़ने में बिताते है ।
उनका कहना है की किताब अगर दिलचस्प है तो वो किसी मूवी से भी अच्छी होती है । इस लिए वो अच्छी किताब खोजते रहते है। उन्हें प्रेमचंद के उपन्यास और कहानी संग्रह बेहद पसंद है । वे प्रेमचंद के फैन है ।साथ में वे नए दौर के लेखकों को भी पसंद करते है । उन्होंने बचपन में ही उपन्यास लिखने का शोक रहा है ।पर पढ़ाई के कारण वे उस उम्र में नही लिख पाए थे ।जब उन्हें समय मिला उन्होंने लिखना शुरू किया । साधारण से परिवार में रहे योगेश कुमार लोगो के व्यक्तित्व में बड़ी रुचि रखते है । इन सभी विशेषताओं के कारण ही वे तीन उपन्यास लिख पाए है । वे अपने आस पास हो रही घटनाओं में भी कहानी ढूढते रहते है ।लिखने पढ़ने के अलावा वे संगीत सुनना भी पसंद करते है ।

 

 

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