हिदायतउल्लाह ख़ान पिछले कई सालों से सहाफ़त (पत्रकारिता) में हैं, हिदायतउल्लाह ख़ान मालवा के अदबी महक़मे में एक जाना पहचाना नाम है, राहत साहब और हिदायतउल्लाह ख़ान साहब का साथ 25 सालों से ज़्यादा का है, इंदौर और आस-पास अदब को मुशायरों के ज़रिये अगर किसी ने ज़िन्दा रखा है तो उसमें हिदायतउल्लाह ख़ान का नाम सबसे पहले आता है, चाहे फिर वो छोटी से छोटी नशिस्त हो या बड़े से बड़ा मुशायरा, उन्हें यह कतई पसंद नहीं कि उनका नाम कहीं लाइट में आये, दोस्तों के इसरार पर उन्होंने क़लम उठाया और इस किताब को अंजाम दिया... अदब का कोई भी ऐसा बड़ा नाम नहीं है जो हिदायतउल्लाह ख़ान को न जानता हो, हिदायत साहब अदबनवाज़ हैं, ये तो अदब जानता ही है, लेकिन अब वो साहिब-ए-किताब भी हुए, ये एक ख़ुशी की बात है.