फ़ैज़ान ख़ान दिल्ली से हैं। हालाँकि उनका जन्म शाहजहाँपुर, उत्तर प्रदेश में हुआ जहाँ उनका नानी घर है और जिसका असर उनकी लेखनी पर साफ़ दिखाई पड़ता है। फ़ैज़ान 2013 से अस्मिता थिएटर ग्रुप से जुड़ अभिनय की दुनिया में आए, वहाँ दो साल अभिनय करने के दौरान ही उन्होंने कई कहानियों को नाटक में तब्दील करा जिस कारण लेखन की ओर उनका आकर्षण बढ़ा। 2015 में वो क्षितिज और रेनैस्टेन्स थिएटर ग्रुप से जुड़े जहाँ लागातर दो साल तक अभिनय की बारिकियों पर काम किया और उसी दौरान कहानियाँ लिखने का सिलसिला भी शुरू हुआ। 2017 में उन्होंने ख़ुद से रूपांतरित और लिखित दो नाटक निर्देशित किये, जिसमें से एक नाटक इसी संग्रह की कहानी 'बंदर' था जिसका मंचन शाहजहाँपुर रंग महोत्सव 2017 में किया गया जहाँ 'बंदर' को बेस्ट स्क्रिप्ट से नवाज़ा गया। उनकी पहली किताब, एक कविता संग्रह है 'रंगों में बेरंग' जोकि विमोचन के बाद से दैनिक जागरण-नीलसन की बेस्टसेलर सूची में 3 बार अपनी जगह बना चुकी है। वह 2018 में मुंबई चले गए। अब तक के उनके उल्लेखनीय अभिनय कार्य 'बाटला हाउस' और 'बिन्नू का सपना' फ़िल्में हैं। वह कुछ टीवी विज्ञापनों में भी दिखाई दिए हैं।