अक्सर बच्चों का सपना होता है कि वो बड़े होकर डॉक्टर या इंजीनियर बनेंगे मगर हेमंत का सपना था कि बड़े होकर वो लेखक बनेंगे. जब उनकी उम्र के बच्चे कॉमिक्स पढ़ रहे थे. तभी उन्होंने प्रेमचन्द को पढ़ना शुरू कर दिया था. जब उनके स्कूल के साथी मैगजीन में अपनी कहानियाँ और कविताएँ देते तो उनका भी मन करता. लेकिन वो कभी हिम्मत नही जुटा पाते. उनका लिखा या तो उनकी रफ कॉपी का हिस्सा बन कर रह जाता या उनकी जेब में पड़े-पड़े धुल जाता. मगर जो नहीं धुला था वो था उनका रायटर बनने का सपना. उनके सपनों को पंख तब लगे जब एक खूबसूरत चाँद जैसे चेहरे ने उनसे कहा ‘तुम तो एक लेखक हो, कभी अपनी प्रेम कहानी भी लिखना’. यह वही चेहरा था जो उन्हें किताबों में दिखता था. यह वही चाँद था जो उन्हें आसमान में नहीं अपने कॉलेज में मिला था. हेमंत के पिता एक सरकारी ऑफिसर थे, जिनका हर तीन साल में ट्रांसफर होता था. इसलिए उनका बचपन पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई शहरों में बीता. मेरठ से ग्रेजुशन करने के बाद हेमंत एक मल्टीनेशनल कम्पनी में प्रोजेक्ट मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं|